ऐसे लिखें सरस्वती पूजा पर निबंध परीक्षा में मिलेंगे पूरे अंक

अगर आप एक विद्यार्थी है और आप इस बात से परेशान है कि आपके परिक्षा मे सरस्वती पूजा पर निबंध के ऊपर प्रश्न आने वाले हैं और आप इस बात से चिंतित है कि आप इस निबंध की तैयारी कैसे करें। तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है क्योंकि हम अपने इस आर्टिकल में आप सभी को बताएंगे सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Par Nibandh) जो की कक्षा 1 से 12 तक के सभी छात्र छात्राओं के लिए परीक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।

इसमें हम आपको 100 से 1000 शब्दों में सरस्वती पूजा पर निबंध बताएंगे। जिससे आपको पढ़ने और लिखने में सुविधा होगी। और आप अपने परीक्षा में सौ में से सौ अंक प्राप्त कर पाएंगे। तो आइए जानते है सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Par Nibandh) किस प्रकार लिखें जिससे आपको पूरे अंक मिल सके। उम्मीद करते हैं कि हमारा ये आर्टिकल आप सभी के लिए मददगार साबित होगा।

Table of Contents

सरस्वती पूजा पर निबंध कक्षा 1 से 12 के लिए | Saraswati Puja Par Nibandh In Hindi

प्रस्तावना:

जैसा कि आप सभी को ज्ञात है। की स्नातन धर्म में देवी–देवताओं और पर्व त्योहार का बहुत महत्व है। उसी में से एक है वसंत पंचमी अर्थात सरस्वती पूजा जिसे पूरे भारतवर्ष में पूरे हर्षोंल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसमे विद्या की देवी अर्थात मां सरस्वती की पूजा की जाती हैं। वसंत पंचमी को लोग त्योहार की भाती मनाते है। सभी विद्यार्थियों ओर सभी गायकों के जीवन में इस दिन का खास महत्त्व होता है। क्योंकि ये दिन मां सरस्वती का होता है। जो सभी के जीवन में विद्या का सृजन करती है। इस दिन लोग मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते है।

सरस्वती पूजा कब और क्यों मनाया जाता है?

सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Par Nibandh) मैं हम आपको बताएंगे कि सरस्वती पूजा कब और क्यों मनाया जाता है। सरस्वती पूजा का त्योहार वसंत ऋतु में आता है। इसे कई लोग वसंत पंचमी भी कहते है। क्योंकि ये त्यौहार माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को आता है। और ये समय वसंत ऋतु का समय रहता है। इसलिए इसे वसंत पंचमी भी कहा जाता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा इसलिए मनाया जाता है।

क्योंकि आज के ही दिन पहली बार इस धरती पर देवी सरस्वती का आगमन हुआ था। और देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने ये वरदान दिया था कि अब से हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को देवी सरस्वती की पूजा की जायेगी और पुरे उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया जाएगा।

सरस्वती पूजा का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

सरस्वती पूजा का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। कई जगहों और कई विद्यालयों,कोचिंग संस्थानो में देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ ही कई लोग अपने घरों में भी मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करते है और पुरे उत्साह के साथ उनकी पूजा अर्चना करते है। और उनसे अपने उज्जवल भविष्य के लिए प्रार्थना करते है। इस दिन कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें बच्चे और नौजवान बढ़ चढ़ कर भाग लेते है। मां सरस्वती को सफेद और पीला रंग अधिक प्रिय है। इसलिए इस दिन लोग सफेद और पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं।

इसके साथ ही मां सरस्वती को सफेद पुष्प, और पीले चावल की मिठी खीर का भी भोग लगाने की बहुत मन्यता है। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को साल का पहला फल जैसे, गाजर, मिश्रिकन, बैर, आम के मंजर और भी अनेक प्रकार के फल चढ़ाएं जाते है। वसंत पंचमी के दिन सभी विद्यार्थी अपने किताब अपनी नोटबुक और वही सभी गायक अपने सभी संगीत वाद्ययंत्र (Musical Instrument) की पूजा करते हैं। और अपने आने वाले भविष्य के लिए प्रार्थना करते है। और उनसे प्रार्थना करते है की वो सब पर अपना आशीर्वाद बनाए रखे।

सरस्वती पूजा का महत्त्व

सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Par Nibandh) में हम आपको बताएंगे की सरस्वती पूजा का क्या महत्व है :-

  1. इस दिन विधा और कला की देवी मां सरस्वती का पहली बार धरती पर आगमन हुआ था।
  2. इस दिन विधा और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती हैं।
  3. सरस्वती पूजा के आगमन से शरद ऋतु का समापन हो जाता है और वसंत ऋतु का आगमन होता है।
  4. सरस्वती पूजा शिक्षा के प्रति हमारे समर्पण की भावना को प्रकट करता है।
  5. सरस्वती पूजा समाज में लोगो को ज्ञान और कला के प्रति प्रेरित और जागरूक करता है।
  6. इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से छात्रों के जीवन केबाने वाली सारी बधाए दूर हों जाती हैं।
  7. सरस्वती पूजा में सारा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
  8. इस दिन जगह जगह पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
  9. सभी छात्र छात्राओं का इस दिन में विशेष महत्व होता है।
  10. इस दिन सभी ज्ञान और कला के प्रतिक वस्तुओं की पूजा की जाती है।

सरस्वती पूजा पर 100–150 शब्दों में निबंध | Saraswati Puja Par Nibandh 100-150 Word Mein

सरस्वती पूजा पर निबंध

सरस्वती पूजा का त्यौहार हिंदुओं का एक सुनहरा और प्रमुख त्यौहार है। जिसे बहुत घूम धाम से पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। सरस्वती पूजा का त्यौहार प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन प्रथम बार इस धरती पर मां सरस्वती का आगमन हुआ था। जिसके उपलक्ष्य मे प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर सरस्वती पूजा का त्यौहार मनाया जाता है। और मां सरस्वती की पूजा की जाती हैं। मां सरस्वती को हंसवाहिनी, वीणावादिनी भी कहा जाता है। सरस्वती पूजा के आगमन से ही शरद ऋतु की समाप्ति हो जाती हैं और बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है

इसलिए इसे बसंत पंचमी भी कहते हैं। इस दिन सभी जगहों पर माता का पंडाल सजाया जाता है। और माता की सुंदर सुंदर मूर्ति स्थापित की जाती है।इस दिन सभी लोग पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करते है। और उनके प्रिय फूल, फल, और भोग उन्हे चढ़ाते हैं। इस दिन लोग अपने किताब, कॉपी, सितार, हरमुनियम, इत्यादि की भी पूजा करते हैं। इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन सभी कोई मां सरस्वती से विधा मांगते है। और समाज के सभी को ज्ञान और कला के लिए प्रेरित करते है।

सरस्वती पूजा पर निबंध 200–250 शब्दों में |Saraswati Puja Par Nibandh 200–250 Shabd Mein

सरस्वती पूजा हिंदुओं के प्रमूख पर्वों में से एक है। सरस्वती पूजा को वसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विधा और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन प्रथम बार ब्रह्मा जी कमंडल से मां सरस्वती का धरती पर आगमन हुआ था। जिसके उपलक्ष्य में हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा का त्योंहार मनाया जाता है। मां सरस्वती को अनेकों नामों से जाना जाता है। जैसे– भगवती, वागीश्वरी, वीणा वादिनी, शारदा आदि। मां सरस्वती ने संगीत का भी निर्माण किया था इसलिए इन्हे संगीत की भी देवी कहा जाता है।

इस दिन का सबसे ज्यादा महत्व छात्र–छात्रा, गायक–गायिका, अध्यापक–अध्यापिका के जीवन में होता है। इसलिए उन्हें विधा और कला की देवी कहा जाता है। इस दिन को सभी लोग त्यौहार की भाती पुरे उत्साह के साथ मनाते है। कई लोगो देवी सरस्वती की मूर्ति की स्थापना कर पूजा करते है। तो कई लोग माता के फोटो की पूजा करते है। और उनसे अपने उज्जवल भविष्य के लिए प्रार्थन करते है। इस दिवस पर कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है।

जिसमे सभी इस सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से अपने ज्ञान और कला का लोगो के समक्ष प्रदर्शन करते है। और समाज में लोगो को ज्ञान और कला के मार्ग को चयन करने के लिए प्रेरित करते है। इस दिन जो कोई भी सच्चे मन से और पुरे श्रद्धा से मां सरस्वती की पूजा अर्चना करता है। उसके जीवन में सदा ज्ञान की ज्योति जगमगाते रहती है। और उसपे सदेव मां सरस्वती अपना आशीर्वाद बरसाते रहती है। इसलिए सरस्वती पूजा के दिन विशेष कर सभी छात्र छात्राओं को अच्छी तरह से शुद्ध होकर सफेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करके सच्चे मन से मां सरस्वती और विधा के प्रतिको की पूजा करनी चाहिए।

ऐसा करने से उन्हें मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। और उनके जीवन में ज्ञान की ज्योति सदा चमकती रहती है। सरस्वती पूजा पर सभी अपने गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त करते है। क्योंकि गुरु हमे शिक्षा प्रदान करते है। हमे सदेव सही मार्गदर्शन चुनने में हमारी सहायता करते है। हमे सदेव सही ज्ञान प्राप्त कराते है। इसलिए तो गुरु को भगवान कहा गया है। इसलिए सरस्वती पूजा के दिन सभी अपने गुरुओं समक्ष नतमस्तक होकर उनका आभार प्रकट करते है और उनसे अपने आने वाले उज्ज्वल भविष्य के लिए आशिर्वाद मांगते है।

सरस्वती पूजा समाज में शिक्षा के और क्ला के महत्त्व को दर्शाने और शिक्षा के प्रति हमारे प्रेम और समर्पण की भावनाओं को उजागर करने का एक सुनहरा अवसर होता है। जिससे हम समाज में एक संदेश दे सके और लोगो को शिक्षा और कला छेत्र के प्रति जागरूक कर सके।

सरस्वती पूजा पर निबंध 300–400 शब्दों में | Saraswati Puja Par Nibandh 300–400 Words Mein

सरस्वती पूजा पर निबंध

सरस्वती पूजा जिसे की वसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। ये हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। जिसे पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व पर देवी सरस्वती की पूजा की जाती हैं। जो ज्ञान और कला की देवी हैं। पौराणिक काल से अबतक माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मां सरस्वती की पूजा की जाती हैं। इस दिन सभी लोग अपने परिवार अपनें शिक्षक अपने मित्रों के साथ मिलकर बड़े ही उत्साह के साथ मां सरस्वती की पूजा करते हैं और इस दिन को त्यौहार की भाती पुरे उत्साह के साथ मनाते हैं।

जब ब्रह्मा जी ने पूरी श्रृष्टि का निर्माण कर दिया था उसके बाद पूरी श्रृष्टि बेजान सी प्रतीत हो रही थी। तभी ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल निकालकर धरती के छिड़का, तभी उसके से एक दिव्य शक्ति वाली देवी का आगमन हुआ। जिसने सफेद वस्त्र धारण किया हुआ था। और एक हाथ में वीणा और अपने दुसरे हाथ मे वर्ण मुद्रा थी। तभी माता ने वीणा बजाकर श्रृष्टि के सभी जीव जंतुओं में वाणी ला दी। तभी उन्हे समस्त श्रृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी ने वीणा की देवी मां सरस्वती का नाम दिया।

और फिर भगवान कृष्ण के वरदान के फल स्वरूप समस्त श्रृष्टि माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मां सरस्वती की पूजा करते हैं। और पुरे उत्साह से इसे एक त्यौहार की भाती मनाते है। मां सरस्वती को सफेद और पीला रंग अति प्रिय हैं। इसलिए इस दिन सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनने की मान्यता है। मां सरस्वती के आगमन से सबके जीवन में विधा और कला का सृजन हुआ था। इसलिए ये दिवस विद्यार्थी और कलाकारों के लिए मुख्य रूप से विशेष मना जाता है। इस दिन स्कूल कॉलेज जैसे संस्थानों में पूरे साज सज्जा के साथ मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करते है।

सभी छात्र छात्राएं और अध्यापक गण मिलकर मां सरस्वती का पंडाल सजाते है। और सच्चे मन से पूरे विधि विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा करते हैं। मां सरस्वती को भोग में साल के पहले पहले फल गाजर, बैर, मिश्रिकन, चढ़ाने का भी रिवाज है। मां सरस्वती को बसंत पंचमी के दिन आम के मंजर और गेहूं का हरा हरा शीशा चढ़ाने की भी मान्यता है। इस दिन लोग मीठे में मां को खीर, बूंदी चढ़ाते है। और इसके पश्चात् इसे प्रसाद के रूप मे सबको बाटते है। और स्वयं भी गृहण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर हम बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को इन सब चीजों के साथ कलम कॉपी जैसी बहुम्ल्य चीजें अर्पण करे।

तो माता बहुत प्रसन्न होती है। और हमपर सदेव अपना आशीर्वाद बरसाते रहती हैं। सरस्वती पूजा शिक्षा के प्रती हमारे समर्पण को परखने का एक अवसर होता है। सरस्वती पूजा लोगो को शिक्षा और कला के प्रति प्रेरित करती है। उन्हे ज्ञान अर्जित करें के लिए जागरुक करती है। क्योंकी किसी व्यक्ति की सर्वप्रथम और मूलभूत आवश्यकता शिक्षा ही है। जो की आपको सदेव दूसरों से अलग बनाती है। और आपको हरजगह सम्मान दिलाती है। चाहे आपके पास कितना भी धन क्यों न हो जाए। परंतु अगर आपके पास ज्ञान बुद्धि ही नही रहेगा तो आप अमीर होते हुए भी गरीब ही रहोगे।

इसलिए कहा गया है ज्ञान सरवर्त पूजते। अर्थात ज्ञान की ही पूजा हर जगह होती है। पैसा हो जाने से मनुष्य में ज्ञान का सृजन नही होता। परन्तु अगर आपके पास ज्ञान है। तो आपके पास धन भी अवश्य ही हो जायेगा। इसलिए जो व्याक्ति बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना सच्चे मन से करता है। उसे कभी भी निरसा का सामना भी करना पड़ता है। उसके जीवन में सदेव ज्ञान की ज्योति जगमगाते रहती हैं।

सरस्वती पूजा पर निबंध 500–1000 शब्दों में | Saraswati Puja Par Nibandh 500–1000 Words

सरस्वती पूजा पर निबंध

उद्धेशिका

भारत एक त्योहारों का देश है। जहा सभी त्यौहार पूरे उत्साह के साथ मिल जुलकर मनाया जाता है। उसी सभी त्योहारों में से एक है सरस्वती पूजा का त्यौहार। जो विद्या और कला के लिए समर्पित है। और इस त्यौहार को सभी लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। विद्यार्थियों के जीवन में इस दिन का सबसे ज्यादा महत्व होता है। इसलिए इस शुभ दिवस को सभी विद्यार्थी और कलाकार मिलकर और भी भव्य और मनमोहक बना देते है।

सरस्वती पूजा क्या है?

सरस्वती पूजा एक त्यौहार है। जो विधा और कला को पूर्ण रूप से समर्पित है। ये लोगो को शिक्षा और कला के लिए प्रेरित करती है और सभी को ज्ञान के महत्व से परिचित कराती है। इस दिन सभी जगह स्कूल कॉलेजो में भव्य भव्य पंडाल सजाए जाते हैं। लोग इस पंडाल में माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करते है। और पुरे सच्चे मन और विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करते है। इस अवसर पर सारा संसार भक्तिमय हो जाती है।

ऐसी मान्यता है कि इस अवसर पर साक्षात मां सरस्वती का धरती पर आगमन होता है। और वो सभी को सही मार्गदर्शन दिखाती है और सबको अपना आशिर्वाद देती है। सरस्वती पूजा के आगमन से शीत ऋतु की समाप्ति हो जाती हैं। और बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है। जिससे ठंड से ठिठुरते लोगों को काफी राहत मिलती है और पुनः खेतों में हरे भरे फसल लहराने लगते है। और प्रकृति पुनः जी उठती है।

पौराणिक कहानी

सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Par Nibandh) में हम आपको बताएंगे की सरस्वती पूजा मनाने के पिछे की पौराणिक कहानी क्या है?
सरस्वती पूजा मनाने के पीछे पौराणिक कहानी ये है कि जब मां सरस्वती का पहली बार धरती पर आगमन हुआ था तो सर्वप्रथ्म उनकी पूजा ब्रह्मा जी और कृष्ण जी ने की थी। सर्वप्रथम जब देवी सरस्वती ने श्री कृष्ण को देखा तो वो उनके रूप को देख मोहित हो गई। और श्री कृष्ण को अपने पति के रुप मे पाने की इक्षा करने लगी।

तभी श्री कृष्ण ने कहा, हे देवी मै तो पूर्ण रूप से केवल और केवल राधा के प्रति समर्पित हूं। श्री कृष्ण ने देवी सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उनसे कहा, मैं तुम्हे ये वरदान देता हूं की प्रत्येक विधा की ईक्षा रखने वाले प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को तुम्हारा पूजन करेंगे। ये वरदान देने के बाद श्री कृष्ण ने देवी सरस्वती की पूजा की और तब से लेकर आज तक देवी सरस्वती की पूजा की जाती हैं।

धार्मिक कारण

शास्त्रों एवं धार्मिक पुराणों के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने श्रृष्टि पर मनुष्य और जीव की रचाना की तो उन्होने देखा कि समस्त श्रृष्टि सुनसान और बेजान दिखाई पड़ रही है। ये देख ब्रह्मा जी उदास और मायूस हो गए। तभी ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल निकालकर धरती पर छिड़का तभी धरती पर गिरे। उस जल से उसमे से एक दिव्य शक्ति वाली चार भुजाओं वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई।

जिसके एक हाथ में वीणा दुसरे हाथ मे वर्ण मुद्रा और बाकी हाथों में पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा जी उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध करते है और देवी के वीणा बजाते ही मानुष्य और जीवों में वाणी आ जाती हैं। और समस्त श्रृष्टि में जान आ जाती है। इसके फलस्वरूप उस स्त्री को सरस्वती कहा गया। इसलिए प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को देवी सरस्वती की पूजा की जाती हैं।

सरस्वती पूजा कैसे मनाया जाता है?

सरस्वती पूजा पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन जगह जगह पर माता का पंडाल सजाया जाता है। और माता की मूर्ति स्थापित की जाती है। इस दिन सभी लोग सफेद और पीले रंग के वस्त्र पहनते है। क्योंकि सफेद रंग मां सरस्वती को अधिक प्रिय है। और पीला रंग बसंत ऋतु का प्रतीक माना जाता है। और सरस्वती पूजा से बसंत ऋतु का आगमन होता है।

इसलिए इस दिन सफेद और पीले रंग के वस्त्र पहनें की परंपरा है। इस दिन मां सरस्वती को भोग पीले चावल की मीठी खीर और फल में बैर, गाजर, मिश्रीकन आदि चढ़ाने का रिवाज है। ये दिन विद्यार्थी, कलाकार, शिक्षकों के लिए बहुत विशेष होता है। इसलिए बहुत से स्कूल, कॉलेजो में सरस्वती पूजा के अवसर पर विशेष रुप से आयोजन किया जाता है।

विद्यार्थी और कलाकार के जीवन में सरस्वती पूजा का महत्त्व

सरस्वती पूजा पर निबंध

सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Par Nibandh) में हम आपको बताएंगे की विद्यार्थी और कलाकर के जीवन में सरस्वती पूजा का महत्व क्या है? देवी सरस्वती का जब इस श्रृष्टि पर पहली बार आगमन हुआ था। तभी उन्होंने अपने एक हाथ में वीणा दूसरे हाथ में वर्ण मुद्रा और अन्य हाथों मे पुस्तक और माला धारण की हुई थी। इसलिए उन्हें विद्या और कला का प्रतीक कहा जाता है। इसलिए विद्यार्थी और कलाकार के जीवन में सरस्वती को का विशेष महत्व होता है। इसलिए इस दिन स्कूल, कॉलेजों में विशेष रूप से सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है।

भव्य रूप से माता का पंडाल सजाया जाता है। सभी अपने विद्या और कला के प्रतीक जैसे– किताब, कॉपी, कलम और सितार, हार्मुनियम, ढोल आदि वस्तुओं की पूजा करते है। इस दिन सभी विशेष रूप से अपने गुरुओं का आभार प्रकट करते है। सभी देवी सरस्वती की पूजा पूरे मन और विधि विधान से करते है। और अपने आने वाले उज्ज्वल भविष्य के लिए देवी सरस्वती से प्रार्थणा करते हैं।

सामाजिक दृष्टि से सरस्वती पूजा का महत्त्व

सामाजिक दृष्टि से सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है। सरस्वती पूजा का आयोजन हर नगर हर शहर में किया जाता है। यहां तक कि छोटे छोटे गावों में भी लोग सरस्वती पूजा का आयोजन करते हैं। इस उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे– नृत्य कला, संगीत, कविता, इत्यादि का भी आयोजन किया जाता है। जो की इस छेत्र के लोगो के लिए अपनी कला अपने ज्ञान को प्रदर्शित करने का एक सुनहरा अवसर होता है। इसलिए ऐसे कार्यक्रम में सभी बच्चे, नौजवान बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है। और समाज के लोगो के समक्ष अपने क्ला अपने ज्ञान का प्रदर्शन करते है।

सरस्वती पूजा शिक्षा के प्रति इस समाज के लोगो की समर्पण की भावना को देखती है, की कौन शिखा के प्रति कितना समर्पण कर सकता हैं। तथा ये शिक्षा और कला के लिए लोगो को प्रेरित करती है और समाज में ज्ञान, बुद्धि, विधा और कला के महत्त्व को समझती है और समाज के लोगो को जागरूक करती है।

देवी सरस्वती को अन्य किन नामों से जाना जाता है?

देवी सरस्वती के और भी कई नाम है। जैसे – सरस्वती, भगवती, शारदा, वाघीश्वरी, वीणा वादिनी, हंसवाहिनी, ब्रह्मचारिणी, वरदायिनी, भारती, बुद्धिदात्री आदि।

बसंत पंचमी का महत्त्व | Vasant Panchami Ka Mahatva

  1. बसंत पंचमी का एक महत्वपूर्ण महत्त्व ये है कि इस दिन मां सरस्वती जिसे विधा और कला की देवी कहा जाता है। उनकी पूजा की जाती है। और विशेष रूप से इनके पूजा और इनके आगमन के लिए साज सजावट किया जाता है।
  2. ऐसी मान्यता है कि वसंत पंचमी का ये दिन सिख लोगो के लिए बहुत विशेष दिन होता है। क्योंकि इस दिन सिखों के दसवें गुरु श्री गुरू गोविंद जी की शादी हुई थी। इसलिए ये दिन सिखों के लिए बहुत विशेष होता है। इसलिए बसंत पंचमी के दिन को सभी सिख धर्म के लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते है। और श्री गुरु गोबिंद सिंह की की पूजा करते हैं।

बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा कैसे करे?

बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूरे विधि विधान से पूजा करने के लिए सर्वप्रथम

  1. स्वयं गंगाजल से स्नान कर के खुद को शुद्ध कर ले।
  2. उसके पश्चात् अपने मंदिर या जिस भी स्थान पर आप मां सरस्वती को विराजमान करना चाहते है। उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर ले।
  3. माता को पीले रंग के वस्त्र से आसानी दे।
  4. उसके पश्चात् माता की मूर्ति या उनके फोटो को उस स्थान पर विराजमान कराए।
  5. माता को पीली, सफेद, लाल इन तीनो में से किसी भी रंग की चुनरी चढ़ाए।
  6. माता के समक्ष शुद्ध घी के दिए जलाए और साथ ही सुगंधित धूप या अगरबत्ती जलाएं।
  7. पूजा करते वक्त आप आसन पर बैठ कर ही पूजा करे। क्योंकि बिना आसन पर बैठ कर की गई पूजा कभी सफल नही होती।
  8. माता को पीले केसर के चंदन का तिलक लगाएं। उनको माला पहनाए।
  9. माता को उनके प्रिय पुष्प,फल, और भोग अर्पित करे। साथ ही कलम और कॉपी भी चढ़ाए।
  10. सरस्वती चालिसा का पाठ करे। और सरस्वती मंत्र का जाप कर ध्यान करे।
  11. अंत में माता की आरती करें। हाथ जोड़कर उनका आभार प्रकट करें और उनसे अपने आनेवाले उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना करे।

घर पर मां सरस्वती की पूजा कैसे करें | Ghar Par Maa Saraswati Ki Puja Kaise Karen

मां सरस्वती की पूजा कर के लिए सर्व प्रथम अच्छे से नहा कर खुद को शुद्ध कर ले। उसके पश्चात् सफेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करे। और अपने मंदिर को ठीक तरह से साफ कर ले। और माता को पीले रंग की आशन और पीले या सफेद रंग का वस्त्र अवश्य ही अर्पण करे। और जिस प्रकार आप रोजाना अपने घर में पूजा करते है। बिल्कुल उसी प्रकार से पूजा कर ले। बस आपको विशेष रुप से ये ध्यान रखना है कि आज के दिन माता के समक्ष घी के दिए जलाए और सफेद और पीले रंग के पुष्प अवश्य ही माता को अर्पित करे।

और माता को भोग पीले चावल की मीठी खीर बनाकर माता को भोग लगाए और इसके साथ साथ उन्हे मीठे फलों और आम के मंजर और गेहूं के हरे हरे शीशे चढ़ाए ऐसा करने से माता बहुत प्रसन्न होती है। और सारे विधि विधान से पूजा करने के बाद सरस्वती चालीसा का पाठ करें और देवी सरस्वती के बीज मंत्र। ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः। ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः। या देवी सरस्वती के मूल मंत्र। या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। का जाप अवश्य करें। और इसके पश्चात देवी सरस्वती की आरती करें।

आज के दिन सभी विद्यार्थी को विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए और अपने विधा के प्रतिक जैसे– किताब, कॉपी, कलम, सितार, हारमुनियम इत्यादि की भी पूजा करनी चाहिए।

मां सरस्वती को प्रसन्न कैसे करें?

सरस्वती पूजा पर निबंध

मां सरस्वती को प्रसन्न करने के 10 सरल उपाय

  1. मां सरस्वती को पीले या सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करना चाहिए
  2. मां सरस्वती के समक्ष घी के दिए और सुगंधित धूप अवश्य जलाना चाहिए।
  3. मां सरस्वती को सफेद कमल के पुष्प या सफेद या पीले रंग के कोई भी सुगंधित पुष्प अवश्य अर्पित करना चाहिए।
  4. मां सरस्वती को पीले चावल की बनी मीठी खीर और बूंदी का भोग लगाना चाहिए।
  5. मां सरस्वती को पीले और सफेद फल अर्पित करना चाहिए।
  6. मां सरस्वती को गेहूं के शिसे और आम के मंजर अर्पित करना चाहिए।
  7. मां सरस्वती को कॉपी और कलम अवश्य चढ़ाना चाहिए।
  8. सरस्वती चालीसा और सरस्वती का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  9. मां सरस्वती के बीज मंत्र– ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः। ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः। या देवी सरस्वती के मूल मंत्र– या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। का जाप अवश्य करें।
  10. मां सरस्वती की आरती करनी चाहिए।

निष्कर्ष

आज के हमारे इस आर्टिकल सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Par Nibandh) में हमने आपको माता सरस्वती से जुड़ी सभी बातें बताने का प्रयास किया है। और इन सब को पढ़ने के बाद हम ये समझ आता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मां सरस्वती का धरती पर प्रथम बार आगमन हुआ था। इसके उपलक्ष्य में श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि, आज से लेकर अनंत काल तक इस दिवस को मां सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

तभी से लेकर आज तक इस दिवस को मां सरस्वती का जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। और सभी लोग इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं। और जो कोई भी इस दिन मां सरस्वती की पूजा पूरे विधि विधान से करता है। उसे मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। और उसके जीवन में सदा ज्ञान की ज्योति जलती रहती है।

Q. 2024 में सरस्वती पूजा कब है ?

2024 में सरस्वती पूजा 14 फरवरी को है।

Q. 2024 में सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

2024 में सरस्वती पूजा 14 फरवरी को है और इसका शुभ मुहूर्त सुबह के 10:30 से दोपहर के 1:30 तक का है।

Q. सरस्वती पूजा पर मां सरस्वती को किस चीज का भोग आना चाहिए?

मां सरस्वती को पीले रंग के चावल की बनी मीठी खीर और बूंदी का भोग लगाना चाहिए।

Q. सरस्वती पूजा पर विशेष रूप से मां सरस्वती को क्या चढ़ाना चाहिए?

सरस्वती पूजा पर विशेष रूप से मां सरस्वती को गेहूं का शीशा और आम का मंजर चढ़ाना चाहिए।

Q. सरस्वती पूजा पर कौन से रंग का वस्त्र पहनना चाहिए?

सरस्वती पूजा पर पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनना चाहिए।

Q. सरस्वती पूजा पर कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?

सरस्वती पूजा परम सरस्वती का बीज मंत्र और मां सरस्वती का मूल मंत्र का जाप करना चाहिए।

Q. सरस्वती जी का बीज मंत्र क्या है?

ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः। ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।

Q. सरस्वती जी का मंत्र क्या है?

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

Q. मां सरस्वती जुबान पर कब बैठती है?

मां सरस्वती जुबान पर प्रातः काल के 3 बज के 20 मिनिट (3:20) से 3 बज के 40 मिनिट (3:40) के बीच विराजमान रहती है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको सरस्वती पूजा पर निबंध (Saraswati Puja Par Nibandh)  से संबंधित सभी जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करता हूं कि मेरा यह आर्टिकल आप सभी के लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। ऐसे ही और अन्य सभी जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट Suchna Kendra से जुड़े रहे। और हमारे Telegram Channel को जरूर join करे।

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